आज हम इस आर्टिकल में आउटपुट डिवाइस के बारे में सीखेंगे। Output Device क्या है? Output Device के प्रकार? Output Device कौन कौन से होते है? आउटपुट डिवाइस की परिभाषा क्या है? आदि। output डिवाइस की सम्पूर्ण जानकारी आपको इस आर्टिकल में मिलेगी।
Output Device क्या है?
यूजर द्वारा कंप्यूटर पर इनपुट देने के बाद जिस डिवाइस के जरिये यूजर को आउटपुट मिलता है, उसे आउटपुट डिवाइस कहते है। आउटपुट device कंप्यूटर का पेरिफेरल हार्डवेयर डिवाइस होते है, जिसका काम डाटा या सूचना यूजर को आउटपुट के रूप में प्रदान करना होता है।
Output दो शब्दों से मिलकर बना है, Out और Put. Out का अर्थ है “बाहर” और Put का अर्थ होता है “रखना”. दोनों को मिलाकर इसका अर्थ होता है, “बाहर रखना”. डाटा या सूचना को प्रोसेस करने के बाद यह डिवाइस उसे बहार दिखाती है, जैसे :- मॉनिटर, स्पीकर, प्रिंटर, प्रोजेक्टर, आदि।
आउटपुट device ऐसे उपकरण होते है जिसके जरिये डाटा प्रोसेसिंग करने के पश्चात् परिणाम प्रदर्शित किया जाता है। आसान शब्दों में समझे तो जब भी उपयोगकर्ता द्वारा कंप्यूटर में इनपुट दिया जाता है तो उसके बाद कंप्यूटर उस डाटा या सूचना को प्रोसेस करता है, जिसके बाद कंप्यूटर उपयोगकर्ता को जिस उपकरण के द्वारा परिणाम दिखाता है, उसे आउटपुट डिवाइस कहा जाता है।
इसके अलावा आप जानते होंगे कि आउटपुट Device भी एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हैं साथ ही साथ ये हार्डवेयर डिवाइस भी होते है। ये डिवाइस कंप्यूटर के part होते हैं। कंप्यूटर हमें जिस भी डिवाइस के जरिये परिणाम / रिजल्ट देता है। आसान भाषा में उसे ही आउटपुट डिवाइस कहते हैं।
आउटपुट device के कुछ उदहारण , जिससे आपको समझने में आसानी होगी। E.g. :- Monitor, Printer, Projector, Speaker, Headphone, Plotter, Etc. इन सभी output डिवाइस के जरिये कंप्यूटर हमें आउटपुट देता हैं। चलिए उदहारण को विस्तार से समझते हैं।
आउटपुट डिवाइस की परिभाषा?
वह उपकरण जिनके द्वारा कंप्यूटर, उपयोगकर्ता को डाटा, निर्देश या परिणाम प्रदान करता है, आउटपुट डिवाइस कहलाता है। आसान सब्दों में परिभाषित करें, तो इस डिवाइस के द्वारा कंप्यूटर आउटपुट के रूप में परिणाम देता है।
निर्गम यंत्र किसी कंप्यूटर या कंप्यूटर प्रणाली से जुड़ा एक ऐसा यंत्र होता है जो सूचना ले और यूज़ कंप्यूटर के दिए हुए निर्देश के अनुसार किसी रूप में प्रदर्शित करें, जैसे कि कागज पर छापना, स्क्रीन पर प्रदर्शित करना, स्पीकर पर ध्वनि उत्पन करना इत्यादि। – विकिपीडिया
An Output Device is any piece of computer hardware equipment which converts information into human readable form. It can be text, graphics, tactile, audio and video. – Wikipedia
कंप्यूटर, उपयोगकर्ता को परिणाम / रिजल्ट जिन उपकरण के जरिये प्रदान करता है, उन्हें आउटपुट डिवाइस कहा जाता है। यह उपकरण,कंप्यूटर द्वारा प्रोसेस करने के बाद, परिणाम को उपयोगकर्ता तक पहुंचाता है।
आउटपुट डिवाइस के प्रकार?
मॉनिटर (Monitor)
मॉनिटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है। यह एक हार्डवेयर डिवाइस के साथ साथ Output Device भी है। इसे Virtual Display Unit भी कहा जाता है। यह दिखने में बिल्कुल टीवी यानी टेलीविजन की तरह होता है। यह CPU (Central Processing Unit) के अंदर चल रही सभी प्रक्रियाओं को अपने स्क्रीन पर सॉफ्ट कॉपी के रूप में दिखाता है।
बिना मॉनिटर के एक कंप्यूटर पूरी तरह से अधूरा माना जाता है। यह कंप्यूटर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। क्योंकि मोनिटर के बिना कंप्यूटर स्टार्ट तो हो जाएगा, मगर इसके बिना आप कंप्यूटर पर कोई कार्य नहीं कर सकते। मॉनिटर में एक स्क्रीन होती है जिसमे यूजर के द्वारा दिए गए इनपुट का परिणाम दिखता है। चूंकि यह सभी जानकारी यूजर को स्क्रीन के दवा दिखाता है, इसलिए यह एक आउटपुट डिवाइस भी है।
मॉनिटर कितने प्रकार के होते हैं?
वैसे तो मॉनिटर कई प्रकार के होते हैं। लेकिन ज्यादातर लोगों को केवल LCD मॉनिटर के बारे में ही पता है। इसके अलावा भी कई प्रकार के मॉनिटर होते हैं जिसके बारे में आज हम विस्तार से बता रहे हैं। आज के समय में ज्यादातर लोगों के पास कंप्यूटर के रूप में डेस्कटॉप का ही इस्तेमाल होता है।
वैसे बाजार में अलग-अलग प्रकार के मॉनिटर उपलब्ध है जो अलग-अलग डिजाइन, साइज और बनावट के आते है। यहां हम मॉनिटर के कुछ मुख्य प्रकार के बारे में बता रहे हैं, जिनमें से कुछ का इस्तेमाल पहले किया जाता था, और कुछ का तो इस्तेमाल आज भी किया जा रहा है। चलिए विस्तार से जानते हैं मॉनिटर के प्रकार के बारे में।
1) CRT Monitor
CRT मॉनिटर का फुल फॉर्म Cathode Ray Tube Monitor होता है। इस प्रकार के मॉनिटर में CRT टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल टेलीविजन की स्क्रीन बनाने में भी किया जाता है। इस प्रकार के मॉनिटर में इमेज या चित्र प्रदर्शित करने के लिए CRT टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है। और इस CRT को बनाने के लिए एक Vacuum Tube, Deflection Circuit, Electron Gun और Glass Screen का इस्तेमाल किया जाता है।
जब CRT के अंदर Electrons produce होने लगते है, तो स्क्रीन को इन इलेक्ट्रॉन्स के द्वारा bombard किया जाता है। CRT के Fluorescent स्क्रीन में चित्र प्रदर्शित करने के लिए high energy electrons का उपयोग किया जाता है। वैसे आपने भी जरूर देखा होगा, पहले के टेलीविजन में एक picture tube लगी होती थी। उसमे भी CRT टेक्नोलॉजी का ही इस्तेमाल होता है। इसलिए वे बहुत ज्यादा भारी भी होते थे।
उनका वजन बहुत ज्यादा होता था और वे बिजली की खपत भी बहुत ज्यादा करते थे। आज भी आपको कई सरकारी दफ्तरों में CRT Monitor देखने को मिल सकता है।
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2) LCD Monitor
LCD का फुल फॉर्म Liquid Crystal Display होता है। और ये Liquid Crystal Diode के नाम से भी जाना जाता है। इसमें चित्र प्रदर्शित करने के लिए Monochrome Pixels का इस्तेमाल किया जाता है। इन मोनोक्रोम पिक्सल्स को transparent electrodes और दो polarizing filters के बीच में व्यवस्थित ढंग से व्यवस्थित किया जाता है।
इसमें optical effect create करने के लिए लाइट के सभी संख्याओं को polarize करके Liquid Crystal Layer में पास कराया जाता है। जिसके बाद स्क्रीन पर ग्राफिक्स इमेज form होता है।
इस प्रकार के मॉनिटर बहुत कम एनर्जी कंज्यूम करते हैं, और बहुत ही ज्यादा बेहतर ग्राफिक क्वालिटी प्रदान करते हैं। आज के समय में सबसे ज्यादा पॉपुलर और इस्तेमाल होने वाला मॉनिटर LCD ही है।
LCD Monitor हल्के होते है, इनका वजन बहुत कम होता है। इन्हे थोड़े और कम जगह पर आसानी से रखा जा सकता है, इनको ज्यादा जगह की जरूरत नहीं पड़ती है।
3) LED Monitor
LED का फुल फॉर्म Light Emitting Diode होता है। ये आज के समय के सबसे लेटेस्ट type के मॉनिटर है। LCD की तरह ये भी flat panel display वाले मॉनिटर है। LED मॉनिटर, flat panel और slightly curved display होते है, और इसमें back lighting के लिए, light emitting diodes का इस्तेमाल किया जाता है।
इस टाइप के मॉनिटर की सबसे खास बात ये है, कि इसमें higher contrast के images को produce किया जाता है। और इसके अलावा जब इसको dispose किया जाता है तो, इसमें negative environment impact भी ज्यादा नहीं पढ़ता।
इस type के मॉनिटर का डिजाइन बहुत पतला होता है। इसमें ज्यादा heating पैदा नहीं होता है। और ये बहुत ही कम power consume करता है। और साथ ही ये ज्यादा environment friendly भी होता है।
ये बहुत ज्यादा durable और टिकाऊ होता है। इसकी durability CRT और LCD की तुलना में काफी ज्यादा होती है। ये बहुत कम बिजली खर्च करती है, इसलिए इसे eco-friendly भी कहा जाता है।
4) OLED Monitor
OLED का फुल फॉर्म Organic Light Emitting Diode होता है। ये भी एक LED मॉनिटर डिस्प्ले ही होता है, पर ये उससे थोड़ा अलग और एडवांस होता है, और ज्यादा बेहतर भी।
ये भी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के मॉनिटर है। इसमें organic material (जैसे – wood, plastic, polymers, carbon, etc.) का उपयोग करके इसे बनाया जाता है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक करेंट को लाइट में convert करने के लिए किया जाता है।
OLED मॉनिटर में back-light का जरूरत नहीं होती है, क्योंकि ये इतना capable होता है कि सही color को produce करने के लिए हर प्रकार के different colored light पैदा कर सकती है।
और इसलिए ये बिजली के साथ साथ space को भी बचाता है। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल स्मार्टफोन, टीवी स्क्रीन, गेम कंसोल और PDA में भी किया जाता है। इसकी पिक्चर क्वालिटी बहुत ही ज्यादा बेहतर और अच्छी होती है। OLED मॉनिटर अब तक की सबसे बेहतरीन डिस्पले टेक्नोलॉजी मानी जाती है।
5) Plasma Monitor
प्लाज्मा मॉनिटर एक high contrast screen display होती है, इसमें बहुत ज्यादा brightness और vibrant colors होते है। इसमें image create करने के लिए tiny colored fluorescent lights को illuminate किया जाता है। जिसके बाद इसके डिस्प्ले में image create होती है।
इसमें red, green और blue, तीन fluorescent lights से प्रत्येक pixel बनी होती है। जो बहुत सारे अलग अलग प्रकार के colors पैदा करती है। Plasma display, LCD और LED की तुलना में बहुत ज्यादा महंगे होते है, इसलिए आज बाजार में plasma डिस्प्ले बहुत कम हो गए है। ये CRT मॉनिटर से पतले होते है और इसकी brightness LCD से ज्यादा होती है।
प्रिंटर (Printer)
ज्यादातर लोग प्रिंटर से जरूर वाकिफ होंगे। यह एक एक्सटर्नर हार्डवेयर डिवाइस है, जो कंप्यूटर द्वारा प्राप्त सूचना या जानकारी को आउटपुट के रूप में पेपर पर प्रिंट देकर यूजर को प्रदान करता है।
प्रिंटर का इस्तेमाल सुचना या फोटो को किसी पेज (पन्ने) में छपने (प्रिन्ट करने) के लिए किया जाता हैं। ये भी एक output डिवाइस हैं। अगर हमें किसी डॉक्यूमेंट या फोटो की प्रिन्ट चाहिए तो हम कंप्यूटर में इनपुट देंगे, और आउटपुट के रूप में प्रिन्टर के जरिये हमें उस डॉक्यूमेंट का प्रिंटआउट कॉपी मिल जाती हैं।
आजकल के प्रिंटर ज़ेरॉक्स तक्नीक साथ आने लगे है। कुछ प्रिंटर सिर्फ ब्लैक एंड वाइट प्रिंट करते है, जबकि कलर प्रिंट वाले प्रिंटर अलग आते है, जो ब्लैक एंड वाइट के साथ साथ कलर प्रिंट भी देता है। आधुनिक तक्नीक को ध्यान में रखते हुए आज के प्रिंटर ज्यादा फीचर्स प्रदान करते है, जिसमे उपयोगकर्ता को प्रिंट के साथ साथ ज़ेरॉक्स और स्कैन फीचर भी मिलता है।
प्रिंटर कितने प्रकार के होते है?
वैसे तो प्रिंटर कई प्रकार के होते है। लेकिन इम्पैक्ट (Impact) एंड नॉन-इम्पैक्ट (Non-Impact) प्रिंटर दो मुख्य प्रकार होते है। चलिए प्रिंटर के प्रकार को विस्तार से जानते है :
Impact Printer (इम्पैक्ट प्रिंटर)
Impact Printer सबसे पुरानी प्रिंटिंग तकनीक के प्रिंटर है। इसकी लागत कम होने की वजह से छोटे उद्योगों में इसकी मांग बहुत ज्यादा होती थी। आमतौर पर इस प्रकार के प्रिंटर का प्रयोग डाटा प्रोसेसिंग, पर्सनल डेस्कटॉप प्रिंटर और वर्ड प्रोसेसिंग के लिए किया जाता था।
इम्पैक्ट प्रिंटर में प्रिंट करने के लिए पेपर के ऊपर एक ink ribbon को किसी धातु से दबाया जाता है, जिससे सारे करैक्टर पेपर शीट पर प्रिंट हो जाते है।
इन प्रिंटर्स की खामियां ये थी, कि यह बहुत ज्यादा धीमी (Slow) और बहुत ज्यादा आवाज करती थी। इम्पैक्ट प्रिंटर के तीन मुख्य प्रिंटर आते है : Dot-Matrix, Daisy Wheel और Line Printer.
1) Dot-Matrix Printer : इसमें tiny dots के समूह से हर करैक्टर को प्रिंट किया जाता है। इसमें पेपर और पिन के बीच एक कार्बन लगा होता है, जब pins को कार्बन के ऊपर दबाया जाता है, तो निचे रखे पेपर पर करैक्टर प्रिंट हो जाती है।
2) Daisy Wheel Printer : इस प्रिंटर का डिजाईन टाइपराइटर जैसा होता है। यह बहुत ज्यादा आवाज करने वाले और slow होते है। इस प्रिंटर के द्वारा ग्राफ़िक्स को प्रिंट नहीं किया जा सकता। इसमें धातु और प्लास्टिक व्हील लगी होती है, जिनमे character बने होते है। जब इन character को दबाया जाता है, तो यह ribbon से टकराता है। जिसके बाद पेपर पर करैक्टर प्रिंट होता है।
3) Line Printer : इस प्रिंटर में spinning drum और looped chain का उपयोग होता है। यह प्रिंटर एक समय में एक पूरी लाइन प्रिंट कर सकता है। जैसे ही इसमें लगा spinning drum और looped chain घूमना शुरू करते है, तो hummer के द्वारा पेपर को ड्रम के सतह पर धकेला जाता है। जिसके बाद पेपर पर करैक्टर प्रिंट होता है।
Non-Impact Printer (नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर)
यह आज के समय के आधुनिक प्रिंटर होते है। इसमें इमेज या करैक्टर को प्रिंट करने के लिए लेजर या इंक-जेट तकनीक का प्रयोग होता है। इस प्रकार के प्रिंटर की स्पीड इम्पैक्ट प्रिंटर की तुलना में ज्यादा बेहतर होते है।
इन प्रिंटर की स्पीड तो फ़ास्ट होती ही है, साथ ही साथ इनमे आवाज भी ज्यादा नहीं होती है। इस प्रकार के प्रिंटर, इम्पैक्ट प्रिंटर की तुलना में काफी सस्ते होते है। इसके अलावा इसकी प्रिंट क्वालिटी भी बहुत ज्यादा बेहतर है। नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर की श्रेणी में इंकजेट प्रिंटर, लेज़र प्रिंटर और थर्मल प्रिंटर आते है।
Inkjet Printer |
1) Inkjet Printer : इसमें प्रिंट के लिए Nozzle technology का प्रयोग किया जाता है। इस प्रिंटर में करैक्टर या पिक्चर प्रिंट करने के लिए Nozzle (एक तरह का पाइप) से Ink पेपर पर spray किया जाता है। Ink, Nozzle में फ़ैल जाती है और भाप के रूप में निकलती है। जिसके बाद पेपर पर इमेज प्रिंट होता है।
Laser Printer |
2) Laser Printer : इस प्रिंटर में लेज़र या इलेक्ट्रॉनिक मॉडल टेक्नोलॉजी का प्रयोग होता है। यूजर इसमें एक कमांड से लगातार कई सारे प्रिंट कर सकता है। इनकी क्षमता इतनी ज्यादा होती है, कि यह एक साथ लगातार 200, 500 या 1000 पन्ने तक प्रिंट कर सकता है। यह इंकजेट के मुकाबले में ज्यादा फ़ास्ट प्रिंट कर सकता है।
Thermal Printer |
3) Thermal Printer : थर्मल प्रिंटर को कई अलग अलग नामो से भी जाना जाता है। जैसे :- इलेक्ट्रो-थर्मल प्रिंटर, बिलिंग प्रिंटर, बारकोड प्रिंटर, लेबल प्रिंटर, आदि। इसका प्रयोग बारकोड या Shipping Label बनाने में किया जाता है। यह प्रिंट के लिए इलेक्ट्रॉनिक हीट का उपयोग करते है।
प्रोजेक्टर (Projector)
प्रोजेक्टर का काम कंप्यूटर में प्रदर्शित हो रहे ग्राफ़िक्स को एक बड़े स्क्रीन में डिस्प्ले करने का होता है। यह एक output device होता है, जो कि कंप्यूटर या ब्लू रे प्लेयर के द्वारा जेनेरेट किये गए पिक्चर को analysis करके एक बड़ी स्क्रीन में उसको reproduce करता है।
प्रोजेक्टर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन होती है, जो कि कंप्यूटर में दिख रहे window को लेता है ,और उपयोगकर्ता के लिए उसे एक बड़ी स्क्रीन में आउटपुट के रूप में प्रदान करता है। यह बड़ी स्क्रीन कोई दीवाल हो सकती है, कोई बड़ा सफ़ेद पड़दा हो सकता है या white board हो सकती है।
मान लीजिये आपने एक presentation बनाई है और उसे हजार लोगो के सामने present करना है। आप कैसे करेंगे? क्या सभी को एक एक करके दिखायेंगे? ऐसे में तो 5 दिन से भी ज्यादा लग जायेगा आपको। तो इस तरह के situation में प्रोजेक्टर काम आती है। एक बड़े से हॉल में, बड़ी से स्क्रीन में, प्रोजेक्टर को अपने कंप्यूटर या लैपटॉप के साथ connect करके सभी को एक साथ एक वक़्त में अपना presentation present कर सकते है।
इअर फ़ोन (Ear Phone)
इअर फ़ोन का इस्तेमाल कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन, टैब, आदि में साउंड यानी आवाज़ सुनने के लिए किया जाता है। इसकी आवाज़ केवल वही व्यक्ति सुन सकता है जो इसे अपने कानो में लगाया होगा। इअर फ़ोन में Mic. भी लगी होती है, जिसकी मदद से इअर फ़ोन के द्वारा फ़ोन पर बात कर सकते है।
इसके अलावा इअर फ़ोन की तरह ही हेड फ़ोन्स भी होते है। हेड फ़ोन में लगे दोनों pads इअर-फ़ोन से बड़े होते है और इसमें एक बेल्ट लगी होती है, जिसकी मदद से इसे सिर के ऊपर आसानी से पहना जा सकता है। बात करने के लिए इसमें भी एक Mic. लगी होती है।
प्लॉटर (Plotter)
प्लॉटर दिखने में लगभग प्रिंटर की तरह ही होता है। यह एक आउटपुट डिवाइस होता है। इसका इस्तेमाल vector graphics को प्रिंट करने के लिए किया जाता है। प्लॉटर में मल्टीप्ल इमेज को ड्रा करने के लिए टोनर के जगह पेन, पेंसिल, मार्कर और other writing tools का उपयोग किया जाता है। दुनिया का पहला प्लॉटर, Remington Rand के द्वारा 1953 में अविष्कार किया गया था।
Vector Graphics के द्वारा बनाये गए इमेज को चाहे जितना zoom in या zoom out करें, उसके क्वालिटी में कोई फर्क नहीं पड़ता है। vector graphics को केवल प्लॉटर के जरिये ही प्रिंट किया जाता है। इसमें Logo, Banner, Poster, Etc. बनाये जाते है। क्यूंकि Logo, Banner या Poster को अलग अलग साइज़ में बनाया जाता है, इसलिए इनकी क्वालिटी ख़राब ना हो, इसके लिए इन्हें vector graphics में डिजाईन करके प्लॉटर से प्रिंट किया जाता है।
प्लॉटर एक ग्राफ़िक प्रिंटर है, यह पेपर पर ग्राफ़िक आउटपुट को छापता है। यह ग्राफ़िक को बनाने के लिए multi-color automatic Pan का इस्तेमाल करता है। प्लॉटर केवल वेक्टर ग्राफ़िक फॉर्मेट में डाटा कैप्चर कर सकते है। इनका ज्यादातर इस्तेमाल इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट, मैकेनिकल ड्राइंग, बिल्डिंग प्लान्स और सर्किट डायग्राम, आदि में किया जाता है। प्लॉटर कई प्रकार के होते है, जैसे :-
- Drum Printer
- Flat-Bad Plotter
- Electrostatic Plotter
स्पीकर (Speaker)
स्पीकर, यूजर द्वारा दिए गए इनपुट के बाद, कंप्यूटर से प्राप्त आवाज़ को आउटपुट के रूप में यूजर को सुनाता है। इस प्रकार यह एक आउटपुट device है। यह कंप्यूटर से डाटा इलेक्ट्रिक करंट के रूप में प्राप्त करता है। इसका काम कंप्यूटर से कनेक्ट होने के बाद साउंड उत्पन्न करना होता है। कंप्यूटर में साउंड उत्पन्न करने के लिए उसमे sound card का इस्तेमाल किया जाता है।
कंप्यूटर पर हम स्पीकर की मदद से म्यूजिक सुन सकते हैं। स्पीकर का इस्तेमाल विडियो की आवाज़, गाने, या रिकॉर्ड की गयी आवाज़ को सुनने के लिए किया जाता हैं। जब हम कंप्यूटर में विडियो देखने या म्यूजिक सुनने के लिए इनपुट देते हैं, तो स्पीकर की मदद से हमें आउटपुट मिलता हैं।
Output Device और Input Device में अंतर?
Input Device | Output Device |
---|---|
जिस डिवाइस के जरिए कंप्यूटर में इनपुट दिया जाता है, उन्हें इनपुट डिवाइस कहते है। | इनपुट देने के बाद, जिस डिवाइस के जरिए यूजर को आउटपुट मिलता है, उन्हें आउटपुट डिवाइस कहते है। |
यह यूजर से डाटा receive करके प्रोसेसर को send करता है। | यह प्रोसेसिंग के बाद प्रोसेसर से डाटा receive करता है, और यूजर को send करता है। |
यह यूजर से डाटा या निर्देश प्राप्त करता है। | यह यूजर को डाटा या निर्देश प्रदान करता है। |
यह हार्डवेयर डिवाइस होते है, जिनके द्वारा यूजर डाटा इनपुट करता है। | यह हार्डवेयर डिवाइस होते है, जिनके द्वारा यूजर डाटा को प्राप्त करते है। |
उदहारण :- कीबोर्ड, माउस, माइक्रोफोन, स्कैनर, लाइट पेन, आदि। | उदहारण :- मॉनिटर, प्रिंटर, प्रोजेक्टर, स्पीकर, आदि। |
तो दोस्तों, अब आप आउटपुट डिवाइस के बारे में सब कुछ जान गए होंगे। Output Device क्या है? Output Device के प्रकार? Output Device कौन कौन से होते है? आउटपुट डिवाइस की परिभाषा क्या है? उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारी ये आर्टिकल जरूर पसंद आई होगी। और हमारे द्वारा बताई गयी सभी बाते आपको समझ में भी आ गयी होंगी। अगर आपके मन में अभी भी किसी तरह का कोई सवाल है, तो आप हमसे कमेंट करके पूछ सकते है।
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