लेकिन बहुत से लोगों को ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? की जानकारी नहीं होती है। अगर आपको भी नहीं पता कि ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है इसका क्या कार्य हैं? तो अब आपको घबराने की जरूरत नहीं। क्योंकि आज हम इस पोस्ट में इसी के बारे में पूरी डिटेल के साथ सीखेंगे।
जिस तरह इंसान को जीवित रहने के लिए दिल की आवश्यकता होती है। बिना दिल के कोई भी इंसान जीवित नहीं रह सकता। ठीक उसी तरह कंप्यूटर को चलाने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकता होती है। बिना ऑपरेटिंग सिस्टम के कंप्यूटर नहीं चलाया जा सकता। या यूं कहें कि कंप्यूटर चल ही नहीं सकता। हम कह सकते हैं ऑपरेटिंग सिस्टम, कंप्यूटर का दिल है।
ऑपरेटिंग सिस्टम क्या हैं? (What is Operating System?)
ऑपरेटिंग सिस्टम पूरे कंप्यूटर का नियंत्रण एवं संचालन करता है। यह एक ऐसा कंप्यूटर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होता है, जो अन्य कंप्यूटर प्रोग्रामों का संचालन करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम किसी भी कंप्यूटर को कार्य करने लायक बनाता है। और हार्डवेयर के अंदर बहुत से दूसरे सॉफ्टवेयर प्रोग्राम्स को स्टोर करके उन्हें चलने की सुविधा प्रदान करता है।
इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं – मान लीजिए आपको घर बनवाना है। आपके पास ईट, सीमेंट, सरिया, रेत, इत्यादि सभी कुछ हैं, पर जमीन नहीं हैं। तो क्या आप घर बनवा पाएंगे। आपका जवाब होगा नहीं!!! ठीक इसी तरह आपको कंप्यूटर चलाना है। आपके पास कीबोर्ड, माउस, यूपीएस, स्पीकर, प्रिंटर इत्यादि सभी कुछ है, पर आपके कंप्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम इनस्टॉल नहीं है। तो ऐसी स्थिति में आपका कंप्यूटर स्टार्ट ही नहीं होगा। तो इस प्रकार, कंप्यूटर को चलाने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम को इंस्टॉल करना जरूरी है।
ऑपरेटिंग सिस्टम, कंप्यूटर पर दूसरे सभी सॉफ्टवेयर को चलाने के लिए एक प्लेटफार्म प्रदान करता है। जिसकी मदद से कंप्यूटर पर दूसरे सभी सॉफ्टवेयर जैसे – MS Word, Photoshop, Web Browser, Games, Etc. चलते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर के बेजान हार्डवेयर को कार्य करने लायक बनाता हैं और हार्डवेयर के ऊपर अन्य सभी सॉफ्टवेयर प्रोग्राम्स को भी स्टोर करता है और चलने लायक सुविधा प्रदान करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम के बिना कंप्यूटर एक निर्जीव वस्तु होता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार
1) Batch Operating System
बैच ऑपरेटिंग सिस्टम में यूजर, कंप्यूटर के साथ सीधे interact नहीं होते हैं। यहां पर किसी भी कार्य को करने का प्रोसेस कई अलग अलग Batches बनाकर किया जाता है। इस तरह जरूरत के अनुसार jobs को छांट कर अलग अलग Batch में बनाना ऑपरेटर का कार्य होता है। इसमें सभी जरूरत वाले जॉब्स को प्रोसेसिंग के लिए CPU में सबमिट कर दिया जाता हैं और सभी को एक साथ run किया जाता है।
2) Network Operating System
वे कंप्यूटर सिस्टम जो नेटवर्क से कनेक्टेड रहते हैं, उनमें नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम अपना सर्विस प्रदान करता हैं। आप बड़े बड़े इंडस्ट्री और कंपनी में देखे होंगे, वहां पर बहुत सारे कंप्यूटर एक ही नेटवर्क के साथ जुड़ कर एक प्राइवेट नेटवर्क के रूप में कार्य करते हैं। वे सभी कंप्यूटर आपस में एक दूसरे के साथ connected रहते हैं। और इस तरह यह एक सर्वर के ऊपर काम करता है। यहां पर किसी भी सिस्टम की फाइल, डाटा, आदि को authorized user किसी एक कंप्यूटर से access कर सकता है।
3) Multi Processor Operating System
मल्टिप्रोसेसर ऑपरेटिंग सिस्टम में एक कंप्यूटर पर कई सारे प्रोसेसर लगे होते हैं। इसमें एक Physical Memory का इस्तेमाल होता है। इसकी Computing Power काफी ज्यादा तेज होती है। इसमें लगे सभी प्रोसेसर एक ही ऑपरेटिंग सिस्टम के under काम करती हैं।
4) Time Sharing Operating System
टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम में हर एक काम को करने के लिए एक समय दी जाती है, जिससे कि वह काम सही तरीके से पूरा किया जा सकें। इसमें हर Task को पूरा करने के लिए OS द्वारा कुछ समय प्रदान किया जाता है। यहां पर हर यूजर Single System का यूज करता हैं। इसके अलावा इसमें को भी task होते है उन्हें Single User और Multi User के जरिए भी किया जा सकता है।
5) Distributed Operating System
दो या दो से अधिक कंप्यूटर जो काफी दूर होते हुए भी एक दूसरे से connected रहते हैं, उनमें डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता हैं। ऐसे कंप्यूटर अलग अलग स्थान पर रहकर भी एक साथ connected रहते हैं। इस प्रकार के OS बहुत ज्यादा advance और powerful होते है। और साथ ही इनमें लगे microprocessor भी काफी सस्ते होते हैं।
6) Real-Time Operating System
ऐसे कंप्यूटर जिसमें हमारे द्वारा दिए गए इनपुट के लिए प्रोसेस और उसका response time बहुत ही कम होता है, और हमे तुरन्त आउटपुट प्रदान करता है, तो ऐसे कंप्यूटर में रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल होता है। इस तरह के सिस्टम का इस्तेमाल करके किसी डाटा को इंटरनेट के जरिए लाइव भी देखा जा सकता है। इसमें इनपुट देने के बाद आउटपुट मिलने तक के टाइम को Response Time कहा जाता है। Real-Time Operating System आज के समय का सबसे Advance OS हैं।
ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम
1) Microsoft Windows
2) Apple Mac OS
3) Linux
4) Unix
5) MS DOS
6) Android
7) Apple iOS
ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य
1) Memory Management
2) Processor Management
कंप्यूटर में मल्टी प्रोग्राम्स (Multi Programs) का एक साथ उपयोग किया जा सकता है। ऐसे में ऑपरेटिंग सिस्टम यह निर्धारित करती है, कि किस प्रोग्राम को प्रोसेस करने के लिए प्रोसेसर दिया जाएगा, कब दिया जाएगा और कितने समय के लिए दिया जाएगा। इस कार्य को Process Scheduling कहते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोसेसर के सभी कार्य को ट्रैक करता है और सभी प्रोसेस के स्टेटस को रिकॉर्ड करता है। जो यह सभी कार्य करवाता है उसे ट्रैफिक कंट्रोलर (Traffic Controller) कहा जाता है।
3) Device Management
कंप्यूटर से जुड़े (Connected) सभी डिवाइसेज को मैनेज करने का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम ही करता है। किसी भी डिवाइस को कंप्यूटर के साथ कनेक्ट करने के लिए उस डिवाइस के ड्राइवर को पहले इंस्टॉल करना होता है। यह कंप्यूटर के सभी डिवाइस को मैनेज करने के लिए उसे ट्रैक करता है। और जिस प्रोग्राम के जरिए यह कार्य करता है उसे इनपुट / आउटपुट कंट्रोलर कहा जाता है। यह किसी भी डिवाइस को केवल उतने देर के लिए ही प्रोसेस में लेता है जितनी देर डिवाइस कार्य करता है। डिवाइस का कार्य समाप्त हो जाने पर ऑपरेटिंग सिस्टम उससे प्रोसेस वापस ले लेता है।
4) File Management
ऑपरेटिंग सिस्टम, कंप्यूटर में स्टोर सभी फाइलों को भी मैनेज करता है। कंप्यूटर में फाइल्स को अलग-अलग डायरेक्टरी में संगठित करके रखा जाता है। हम सभी फाइल्स को Category Wise Folder में Save करते हैं, ताकि जरूरत पढ़ने पर, फाइल को आसानी से ढूंढा का सके, और उनका उपयोग किया जा सकें। Folder को ही Directory कहा जाता हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम यह सभी तो ट्रैक करने का कार्य करता हैं, साथ ही File Location, File Creation Date, File Size, File Creator, Etc. को ट्रैक करता हैं और इन सबकी जानकारी रखता है। यह सभी कार्य जिस प्रोग्राम के जरिए होता है उसे File System कहते हैं।
5) Security
ऑपरेटिंग सिस्टम हमारे कंप्यूटर को Unauthorized Access से Secure रखता है। कंप्यूटर ओपन करते समय लॉगइन पासवर्ड के जरिए दूसरे लोगों के इस्तेमाल से सिक्योरिटी यानी सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अलावा कंप्यूटर के अंदर बहुत से फाइल्स और प्रोग्राम्स को भी पासवर्ड के जरिए protect करता है।
6) System Performance
ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर के परफॉर्मेंस को मॉनिटर और ट्रैक करता है। ताकि system के performance को improve किया जा सकें। कभी कभी किसी प्रोग्राम को ओपन करने पर काफी देर तक प्रोसेस होता है, उसके बाद बहुत देर में ओपन होता है। इसे में ऑपरेटिंग सिस्टम इं सभी को ट्रैक और रिकॉर्ड करता हैं। जिससे कि उन्हें सुधारा जा सकें।
7) Error Detection
कंप्यूटर में होने वाले हर प्रकार के Errors को ऑपरेटिंग सिस्टम ही Detect करता हैं और उन्हें Recover भी करता है। कई बार कंप्यूटर चलते वक्त सॉफ्टवेयर और प्रोग्राम्स हैंग (Hang) करने लगते हैं। या इंटरनेट कनेक्ट नहीं होता है, Connectivity Error आने लगता हैं। इन सभी errors को ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा Track किया जाता है। ताकि उन सभी errors को solve या recover किया जा सकें।
8) Co-Ordination Between Users & Software
यूजर कंप्यूटर को इनपुट देता है, और कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर और प्रोग्राम्स उस इनपुट को लेने के बाद उसे प्रोसेस करके हमें आउटपुट देता है, तो यहां पर यूजर और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के बीच तालमेल ऑपरेटिंग सिस्टम ही बनाता है। इसके अलावा User और System के बीच संचार (Communication) प्रदान करता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएं
2) कंप्यूटर से जुड़े (Connected) सभी इनपुट और आउटपुट डिवाइसेज को ऑपरेटिंग सिस्टम ही कंट्रोल करता है।
3) ऑपरेटिंग सिस्टम अन्य सभी सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को चलने के लिए एक प्लेटफार्म प्रदान करता है।
4) ऑपरेटिंग सिस्टम पर ही हम अपने सभी डाटा कोई स्टोर करते हैं।
5) ऑपरेटिंग सिस्टम हमारे डाटा को स्टोर करता है और सिक्योरिटी प्रदान करता है।
6) ऑपरेटिंग सिस्टम, यूजर और हार्डवेयर के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है।
7) हम कंप्यूटर में जो भी इनपुट देते हैं, ऑपरेटिंग सिस्टम उस इनपुट को प्रोसेस करता है। और फिर आउटपुट डिवाइस के जरिए हमें शो करता है।